Everything about hanuman chalisa
[BuddhiHeena=devoid of intelligence; tanu=human body, person; jaanike=figuring out; sumirau=remembder; pavanakumar=son of wind god, Hanuman; Bal=toughness; Buddhi=intelligence; Bidya=expertise; dehu=give; harahu=eliminate, clear; kalesa=ailments; bikara=imperfections]हनुमान चालीसा लिरिक्स
भावार्थ – हे हनुमान जी! [जन्म के समय ही] आपने दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को [कोई] मीठा फल समझकर निगल लिया था।
कानन कुण्डल कुञ्चित केसा ॥४॥ हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै ।
श्री सीताराम जी के चरणों में प्रीति और भक्ति प्राप्त हो जाय यही जीवनफल है। यह प्रदान करने की क्षमता श्री हनुमान जी में ही है।
लङ्केस्वर भए सब जग जाना ॥१७॥ जुग सहस्र जोजन पर भानु ।
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
Rama could be the king of all, he may be the king of yogis. You managed all his tasks, or in other translation, He whoever can take refuge in Rama you are going to take care of all their jobs.
खाटू वाला खुद खाटू से, तेरे लिए आएगा - भजन
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व्याख्या – भक्त के हृदय में भगवान् रहते ही हैं। इसलिये भक्त को हृदय में विराजमान करने पर प्रभु स्वतः विराजमान हो जाते हैं। श्री हनुमान read more जी भगवान् राम के परम भक्त हैं। उनसे अन्त में यह प्रार्थना की गयी है कि प्रभु के साथ मेरे हृदय में आप विराजमान हों।
In both of those China and Japan, very like in India, there is a lack of a radical divide amongst humans and animals, with all residing beings and mother nature assumed for being relevant to humans. There isn't any exaltation of human beings in excess of animals or character, as opposed to the Western traditions. A divine monkey continues to be a part of the historic literature and society of China and Japan, quite possibly motivated via the close cultural Get in touch with by way of Buddhist monks and pilgrimage to India in excess of two millennia.[79] One example is, the Japanese text Keiranshuyoshu, even though presenting its mythology a couple of divine monkey, that's the theriomorphic Shinto emblem of Hie shrines, describes a flying white monkey that carries a mountain from India to China, then from China to Japan.
भावार्थ– आप भगवान् शंकर के अंश (अवतार) और केशरी पुत्र के नाम से विख्यात हैं। आप (अतिशय) तेजस्वी, महान् प्रतापी और समस्त जगत्के वन्दनीय हैं।
भावार्थ – अनन्त काल से आप भगवान श्री राम के दास हैं। अत: रामनाम-रूपी रसायन (भवरोग की अमोघ औषधि) सदा आपके पास रहती है।